बस्ती 18 दिसम्बर, 2019। खरीफ में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत 14163 किसानों का पैसा बैंक द्वारा अभी तक वापस न करने पर जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने गहरा असंतोष व्यक्त किया है। उन्होने 20 दिन का समय देते हुए चेतावनी दिया है कि पैसा खाते में वापस न करने पर शाखा प्रबन्धक के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करायी जायेगी। उन्होने लीड़ बैंक मैनेजर को निर्देश दिया है कि बकाया धनराशि वाले शाखा प्रबन्धकों की सूची उपलब्ध कराये। साथ ही धन वापस करने की साप्ताहिक सूचना दें।
उल्लेखनीय है कि खरीफ में कुल 39461 किसानों से बीमा की धनराशि बैंक द्वारा काटी गयी परन्तु केवल 24298 किसानों की धनराशि बीमा कम्पनी को भेजी गयी। शेष धनराशि न भेजे जाने से किसानों का बीमा का नुकसान हुआ, साथ ही अब धनराशि भी बैंक से वापस नही हो रही है। जिलाधिकारी ने इस प्रकरण पर सख्त रूख अपनाते हुए बैंक प्रबन्धको को अन्तिम चेतावनी दी है।
उन्होने कहा कि शासनादेश के अनुसार जिले के सभी 448000 किसानों का के्रडिट कार्ड बनाया जाना है, जबकि जिले में मात्र 89 हजार किसान के्रडिट कार्ड बैंक द्वारा बनाये गये है। इसमे से खरीफ में मात्र 39461 किसानों से बीमा राशि काटी गयी, जो आधा से कम है। उन्होने गहरा असंतोष व्यक्त किया कि बैंक द्वारा किसानों का ना तो कार्ड बनाया जा रहा है और न ही कार्डधारको का स्वतः बीमा किया जा रहा है।
समीक्षा मंे उन्होने पाया कि वर्ष 19-20 में वार्षिक ऋण योजना में 241309 लाख के सापेक्ष 69596 लाख रूपये 28.85 प्रतिशत प्रगति रही। कृषि एवं सहायक कार्यक्रम में 162389 लाख लक्ष्य के सापेक्ष 53755 लाख (33.10 प्रतिशत) ग्रामीण कारीगर तथा लधु कुटीर उद्योग में 34095 लाख लक्ष्य के सापेक्ष 34095 लाख लक्ष्य के सापेक्ष 8690 लाख रू0 (25.49 प्रतिशत) तथा व्यापार एवं सेवा क्षेत्र में 30717 लाख के सापेक्ष 7150 लाख (16 प्रतिशत) ऋण वितरित किया गया है। यह उपलब्धि 50 प्रतिशत होना चाहिए था। इस पर भी जिलाधिकारी ने असंतोष व्यक्त किया है तथा ऋण वितरण का कैम्प आयोजित करने का निर्देश दिया है।
जिलाधिकारी ने कहा कि स्तर कम का उद्देश्य है कि 2022 तक किसानों की आय दुगनी हो जाये। इसके लिये किसानों को कृषि के साथ ही बकरी पालन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन के लिये लोन दिया जाये, जिस पर नाबार्ड द्वारा अनुदान दिया जाता है इसके साथ ही प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण योजना के अनतर्गत शिशु, किशोर तथा तरूण वय के व्यक्तियों को ऋण दिया जाता है।
समीक्षा में उन्होने पाया है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 335 समूहों का खाता नही खोला गया है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में 166 में से मात्र ऋण आवेदन पत्र स्वीकृत किये गये है। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में 148 के सापेक्ष 10 ऋण आवेदन पत्र स्वीकृत किये गये है। अनुसूचित जातिध्जनजाति के लिये संचालित स्पेशल कम्पोनेन्ट प्लान में 247 के विरूद्ध मात्र 42 आवेदन पत्र स्वीकृत किये गये है। शेष लम्बित हैं।
एक जनपद एक उत्पाद योजना में भी स्थिति अच्छी नही है। प्रमुख सचिव उ0प्र0 सूक्ष्म लधु मध्यम उद्योग विभाग ने जिले की इस प्रगति पर गहरा असंतोष व्यक्त करते हुए डी.एम. को पत्र भेजा है। इस योजना में 127 आवेदन पत्रों में से 12 स्वीकृत किया गया है। जिलाधिकारी ने ऋण आवेदन पत्र स्वीकृत न होने पर उपायुक्त उद्योग विभाग को कड़ी कार्यवाही की चेतावनी दी है। अत्यन्त कमजोर वर्ग के व्यक्तियों को उत्पादक एवं लाभकारी कार्यो के लिये अधिकतम पन्द्रह हजार का ऋण दिया जाता है। इस पर 04 प्रतिशत ब्याज लिया जाता है। जिलाधिकारी ने बैंको को इसके तहत गरीब व्यक्तियों को ऋण देने का निर्देश दिया है।
उन्होने बैंको की सुरक्षा प्रबन्ध पर अनुपालन आख्या भी तलब किया है। बैठक का संचालन लीड़ बैंक मैनेजर अविनाश चन्द्रा ने किया। इसमें नाबार्ड के प्रबन्धक मनीष सरन, अधिशाषी अभियन्ता नलकूप दीवान सिंह, एस.के चक्रवर्ती, डाॅ0 एसके तिवारी, आरके यादव, संदीप वर्मा, धर्मेन्द्र सिंह, गोरखनाथ तिवारी उपस्थित रहें।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की धनराशि वापस न करने वाले शाखा प्रबन्धक के विरूद्ध होगी कार्यवाही: जिलाधिकारी